2000 रुपये के नोट को वापस लेने का फैसला भारतीय रिजर्व बैंक ने लिया है। इसका मतलब है कि अब भविष्य में 2000 रुपये के नोट नहीं छपेंगे। 23 मई से 30 सितंबर तक, जिनके पास भी इस नोट की मात्रा है, उन्हें उन नोटों को बैंक में वापस करना होगा। यह फैसला भारतीय रिजर्व बैंक ने क्लीन नोट पॉलिसी के तहत लिया है।
2000 के नोट बंद
एक बार में बैंक में 20,000 रुपये तक बदले जा सकते हैं, जिसका मतलब है कि 10 नोटों को बदलकर छोटे नोटों की जगह लिया जा सकेगा। सभी बैंकों में 2000 रुपये के नोटों को बदलने के लिए विशेष विंडो की सुविधा होगी। केंद्रीय बैंक ने यह कहा है कि यह नोट प्रचलन से हटा रही है और लोगों को अपने नोट्स को 30 सितंबर तक बदलने का मौका मिलेगा।
2000 रुपये का नोट आरबीआई एक्ट 1934 के सेक्शन 24 (1) के तहत जारी किया गया था। पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के बाद, ये नोट आवश्यकता के कारण छपे गए थे। लेकिन इन नोटों को बाजार में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने के बाद, उनकी प्रिंटिंग बंद कर दी गई थी।
2016 के नवंबर 8 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद, 500 और 1000 रुपये के सभी नोटों को बंद कर दिया गया था। इन नोटों की जगह पर रिजर्व बैंक ने 500 और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए थे। रिजर्व बैंक का मानना था कि 2000 रुपये का नोट उन नोटों की वैल्यू को भरने में आसानी से मदद करेगा, जो बंद कर दिए गए थे। यह नोट देश में 2017-18 के दौरान सबसे ज्यादा उपयोग किया गया था।
वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, RBI ने वित्त वर्ष 2021-22 में 2000 रुपये के किसी भी नोट की प्रिंटिंग नहीं की थी, इसलिए सर्कुलेशन में इसकी मात्रा पहले ही कम कर दी गई थी।
लगातार घट रही है हिस्सेदारी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ताजा सालाना रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 के अंत में 2000 रुपये के नोटों की संख्या 274 करोड़ थी। इसके बाद मार्च 2021 तक इस संख्या में घटाव हुआ और यह 245 करोड़ या दो प्रतिशत बनी रही। वित्त वर्ष 2021-2022 के अंत में यह संख्या 214 करोड़ या 1.6 प्रतिशत तक घटी। यदि मूल्य के हिसाब से देखें तो मार्च 2020 में 2000 रुपये के नोटों का कुल मूल्य, सभी मूल्यवर्ग के नोटों के कुल मूल्य का 22.6 प्रतिशत था। मार्च 2021 में यह आंकड़ा 17.3 प्रतिशत और मार्च 2022 में 13.8 प्रतिशत रहा।
कहां गए वो 2,000 रुपये के नोट?
2000 रुपये के नोटों के बारे में आरबीआई की ताजा रिपोर्ट में कोई जानकारी नहीं है। आरबीआई ने इन नोटों की प्रिंटिंग बंद कर दी है और उन्हें बैंकों में वापस नहीं लाया जा रहा है। एटीएमों में भी 2000 रुपये के नोट नहीं मिल रहे हैं। संभावना है कि इन नोटों की कीमत के कारण लोगों ने इन्हें काले धन के रूप में जमा कर दिया है।
500 के नोट का दबदबा
दूसरी ओर, 500 रुपये के नोटों की संख्या मार्च 2022 के अंत में 4,554.68 करोड़ हो गई है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 3,867.90 करोड़ थी। मात्रा के हिसाब से 500 रुपये के नोट (34.9 प्रतिशत) सबसे अधिक चल रहे हैं। इसके बाद 10 रुपये के नोट (21.3 प्रतिशत) आते हैं। सालाना रिपोर्ट के अनुसार सभी मूल्यवर्गों में चल रही मुद्राओं का कुल मूल्य मार्च 2022 में 31.05 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचा है, जो मार्च 2021 में 28.27 लाख करोड़ रुपये था।